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उत्तराखंड का मघ्यकालीन इतिहास
- खगमरा किला -अल्मोड़ा राजा भीष्म चन्द्र ने इसका निर्माण किया - 1555-60
- लालमंडी का किला -अल्मोड़ा 1563 राजा कल्याण चन्द्र।
- मल्ला महल का किला -अल्मोड़ा चन्द वंशीय राजा राजा कल्याण चन्द ने किया ।
- राजबुगा किला -चम्पावत में है चन्द वंशीय राजा सोमचंद ने बनवाया था।
- नैथडा किला -अल्मोड़ा इसे गोरखाकालीन माना जाता है।
- सिरमोही का किला -लोहाघाट में है।
- बाणासुर का किला -चम्पावत में है।
- कार्तिकेय पुर राजवंश के बाद मध्यकाल में कुमाउ क्षेत्र पर किन शासको का अधिपत्य हुआ-कत्यूरीयो का ।
- कत्यूरी शासको में आशंतिदेव वंश के शासको की राजधानी थी-पहले जोशीमठ बाद में रणचूलाकोट ।
- आशंतिदेव वंश का अन्तिम व अत्याचारी शासक जिसके समय तैमूर लंग ने हरिद्वार पर आक्रमण किया था-ब्रहमदेव।
- अशोकचल्ल कहा का शासक था जिसने कत्यूरी पर 1191 में आक्रमण कर उसके कुछ भाग ापर अधिकार कर लिया था-पश्चिमी नेपाल।
- 1223 ई0 में किस नेपाली शासक ने कुमाउ क्षेत्र पर आक्रमण किया था-क्राचल्ल देव।
- कुमाउ क्षेत्र पर कत्युरी के बाद किसके नेतृत्व में 1216 में चन्द्र राजवंश की स्थापना हुई -थोहरचंद।
- 1563 इ0 में चन्द्र वंश के किस शासक ने अपनी राजधानी चम्पावत से अल्मोड़ा बनाई-बलदेव कल्याण चन्द्र।
- चन्द वंश का सबसे शक्तिशाली साशक बाजबहादुर चंद था।
- कुमाउ क्षेत्र में ग्राम प्रधान की नियुक्ति और भूमि निर्धारण प्रणाली शुरू की गयी-चन्द राजाओ के द्वारा।
- किस परमार शासको ने मुगल दाराशिकोह के पुत्र सुलेमान शिकोह का संरक्षण प्रदान किया-पृथ्वीपति शाह ने।
- गढवाल शासक मानशाह और महिपति शाह के समय -तिब्बत हमले हुए थे।
- गोरखो ने कुमाउ अल्मोड़ा को जीता था-1790 में।
- 1791 में गढ़वाल पर भी गोरखो ने आक्रमण किया पर उस आक्रमण में गोरखो की हार हुई।
- गढवाल पर गोरखो की राजा प्रद्युम्मन शाह के समय 1803 में विजयी मिली थी।
- गोरखाओ और गढ़वाल राजा प्रद्युम्न शाह के बीच देहरादून के खुडबड़ा के मैदान अंतिम युद्ध लडा गया जिसमे प्रद्युम्न शाह वीरगति को प्राप्त हो गये 14 मई 1804 को यह खुडबडा युद्ध हुआ था।
- किस गढवाल नरेश की मांग पर अक्टूबर 1814 में गर्वनर जनरल लार्ड हेस्टिंगज ने गोरखो के विरूद्ध अंगेज सेना भेजकर उन्हे पराजित करवाई-सुदर्शन शाह ने।
- आधा राज्य अंग्रेजो के कब्जे में जाने के बाद गढवाल नरेश शुदर्सन शाह ने अपनी राजधानी श्रीनगर से हटाकर टिहरी स्थानतरित की -1815 मे।
- प्रद्युमन शाह के बाद गढवाल नरेश-
- सुदर्शन शाह-1815-1859
- गढवाल का विभाजन -28 दिसम्बर 1815 राजधानी श्रीनगर से स्थानतरित कर टिहरी।
- प्रताप शाह-1871-1886 टिहरी में अंग्रेजी शिक्षा की शुरूआत ।
- कीर्ति शाह-1886-1913 अंग्रेजो ने इसे सी एस आई की उपाधि दी थी।
- नरेन्द्र शाह-1913 -1946 प्रजामंण्डल की मांग में जन आन्दोलन स्वतंत्रता आन्दोलन रियासत को समाप्त करने की मांग।
- मानवेन्द्र शाह-1946-1949 -1 अगस्त 1949 को भारत में विलय और उ0प्र0 का एक जिला बनाया गया टिहरी को।
उत्तराखंड का आधुनिक इतिहास
- गढ़वाला को मुक्त कराने के बाद अंग्रेजो ने 1815 तक कुमाउ की भी गोरखो से जीत लिया था।
- 25 अप्रेल 1815 को अंग्रेज कर्नल गार्डनर और गोरखा शासक अमर सिंह थापा के बीच संगौली की संधी हुई।
- वह कौन सी सरकार थी जो संगौली संधि को स्वीकार ने करने के कारण फरवरी 1816 में अंग्रेजो के आक्रमण के शिकार बनी और हारने के बाद मार्च 1816 में स्वीकार कर ली-नेपाल की गोरखा सरकार।
- कुमाउ और गढ़वाल पर गोरखो का अत्याचारपूर्ण शासन रहा -कुमाउ में 25 वर्ष और गढ़वाल में 10.5 वर्ष ।
- टिहरी रियासत को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तरखंण्ड को अंग्रेजो ने उत्तर पूर्वी का प्रान्त बना दिया , और इस क्षेत्र का प्रथम कमीशनर -कर्नल गार्डनर 1815 को बनाया गया।
- ब्रिटिश उत्तराखंण्ड को संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध का अंग बनाया गया-1902 में ।
- राज्य में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का गौरव चम्पावत केक विसुंग लोहाघाट के कालू मेहरा को प्राप्त है।
- उन्होने क्रांतिवीर नामक एक गुप्त संगठन बनाकर आन्दोलन चलाया 1857 की क्रान्ति के दौरान।
- अल्मोड़ा में राजनीतिक चेतना बड़ाने के लिए डिबेटिंग क्लब की स्थापना हुई-1870 में
- प0 गोविन्द बल्लभ पंत ने 1903 में हैप्पी क्लब की स्थापना की थी।
- राज्य की भाषा कुमाउनी में प्रथम अखबार का प्रकाशन अल्मोड़ा में शुरू हुआ-1871 अल्मोड़ा अखबार ।
- राजनीतिक चेतना के लिए हैप्पी क्लब की स्थापना 1903 में प0 गोविन्द बल्लभ पंत ने की थी।
- राज्य में वन नीति के विरोध व्यापक जन आन्दोलन चला-1911से 1917 के मध्य ।
- राजनीतिक चेतना के विस्तार के लिए अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना -1912 में हुई थी।
- तिलक और ऐनी बेसेन्ट के द्वारा 1914 में होम रूल लींग से प्रेरित होकर विक्टर मोहन जोशी ,बद्रीदत्त पाण्डे ,चिरंजी लाल , हेम चन्द्र आदि ने मिलकर राज्य में होम रूल आन्दोलन चलाया ।
- गाधीजी ने दक्षिण अफ्रिका से लौटने पर देहरादून की यात्रा की 1916 में ।
- राज्य में कुमाउ परिषद् की स्थापना हुई -1916
- कुमाउ परिषद् का कांग्रेश में विलय हुआ-1926 में ।
- गढ़वाल कांग्रेश की स्थापना -1918।
- अमृतसर कांग्रेश की स्थापना -1919 में हुई थी।
- 14 जनवरी 1921 को बागेश्वर के सरयू नदी पर कुली बेगार के सभी रजिस्टर सरयू नदी में बहा दिये गये और कुली बेगार का अंत हुआ।
- 23 अप्रेल 1930 चन्द्र सिंह गढ़वाली के नतृत्व में 2/19 गढ़वाल राइफल्स के सैनिको ने निहत्थे अफगान स्वतंत्रता सेनानियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया इस घटना को पेशावर काण्ड कहा जाता है।
- पेशावर काण्ड से प्रभावित होकर मोतीलाल नेहरू ने सम्पूर्ण देश में गढ़वाल दिवश मनाने की घौषणा की ।
- चनौदा सोमेशवर अल्मोड़ा में 1937 में गाधी आश्रम की स्थापना -शांति लाल त्रिवेदी ने की थी।
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