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उत्तरखंण्ड का ऐतीहासिक अध्ययन-
- लाखु गुफा-1963 अल्मोड़ा बाडेछीना (दलबैण्ड) मानव तथा पशुओ के चित्र मिले है।
- मानव आकृतियो को अकेले या समूह मे नृत्य करते दिखाया गया है।
- ग्वैरख्या गुफा-चमोली (अलकनन्दा नदी के तट पर है)
- किमनी गाव -यह चमोली के थराली गाव में स्थित है।
- मालरी गाव -यह भी चमोली में स्थित है 5.2 किलो को एक सोने का मुखोटा मिला था।
- ल्वथाप -अल्मोड़ा मे स्थित है इसमें मानव को शिकार करते दिखाया गया है ।
- हुडली -उत्तरकाशी में स्थित है।
- बनकोट-पिर्थारागढ़ में स्थित है (8 ताम्र मानवाकृतिया मिली है।)
आद्य ऐतिहासिक काल-
- उत्तराखंण्ड का प्रथम उल्लेख हमे ऋग्वेद से प्राप्त होता है। जिसमें इस क्षेत्र को देवभूमि एवं मनुष्यो की पूर्ण भूमि कहा गया था।
- पुराण में मायाक्षेत्र हरिद्वार से हिमालय तक के विस्तृत क्षेत्र को (केदारखंण्ड) गढवाल क्षेत्र कहा जाता है।
- नन्दा देवी पर्वत से कालीगिरी तक के क्षेत्र को मानखंण्ड वर्तमान में कुमाउं क्षेत्र कहा जाता है।
- नन्दा देवी पर्वत इन दोनो खेडो के विभाजन रेखा पर स्थित है।
- पुराण में मानखंण्ड और केदारखंण्ड के संयुक्त क्षेत्र को उत्तर खंड ,ब्रहमापुर एवं खसदेश के नामों से सम्बोधित किया गया है।
- बौध साहित्य के पाली भाषा में उत्तराखंण्ड क्षेत्र के लिए हिमवंत शब्द प्रयुक्त किया गया था।
- गढ़वाल क्षेत्र - पहले इस क्षेत्र को महाभारत पुराणो में बद्रीकाश्रम क्षेत्र, तपोभूमि , स्वर्गभूमि ,केदारखंड के नाम से जाना जाता था।
- टिहरी गढ़वाल विशोन नामक पर्वत पर स्थित है-यहा वशिष्ट गुफा ,वशिष्ट कुण्ड ,वशिष्टाश्रम है।देवप्रयाग -भगवान राम का एक मन्दिर है। भगवान राम ने अपने अन्तिम समय में यहा पर तपस्या की थी।
- टिहरी गढ़वाल जिले-लक्ष्मण जी ने जिस स्थान पर तपस्या की थी उसे तपोवन कहा जाता है।
- रामायण कालीन बाणासुर की राजधानी -ज्योतिषपुर जोशीमठ थी।
- बद्रीकाश्रम और कण्डवाश्रम दो प्रशिद्ध विद्यापीठ है।
- कण्डवाश्रम -दुष्यन्त और शकुन्तला के प्रेम प्रसंग के कारण प्रशिद्ध है इसी आश्रम में भरत का जन्म हुआ था।
- महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य अभिज्ञान शाकुन्तलम की रचना मालिनी के तट पर स्थित इसी कण्डाश्रम में ही की थी। वर्तमान में इस स्थान को चैकाघाट कहते है।
- कुमाउ का सर्वाधिक उल्लेख सकन्द पुराण के मानखंण्ड से मिलता है
- जाखनदेवी मन्दिर अल्मोडा (यक्षो के निवास की पुष्टी कराता है)।
- बीनाग, या बनीनाग ,धौलानाग , कालीनाग , पिगल नाग, खरहरी नाग , बासुकी नाग उपरोक्त नाग मन्दिरो में से प्रसिद्ध मन्दिर बिनाग वे बेनीनाग पिथौरागढ़ में स्थित है।
- कालसी यह देहरादून में स्थित है यहा से कालसी शिलालेख 257 ई0पू0 मिला है।टौस और यमुना नदी के संगम पर स्थित यह लेख पाली भाषा में लिखा है
- कालसी अभिलेखो में यहा के लोगो के लिए पुलिंद और यहा के क्षेत्र के लिए अपरांत शब्द का प्रयोग किया गया है।
- देहरादून के जौनसार बाबर से राजकुमारी ईश्वरा का शिलालेख प्राप्त हुआ है।
- प्रथम और द्वितीय शदी में कुषाणकालीन मुद्राए मुनी की रेती तथा सुमाड़ी से प्राप्त हुई है।
ऐतिहासिक काल-
कुणिन्द वंश-
- उत्तराखंण्ड पर शासन करने वाली प्रथम राजनीतिक शक्ति है।
- तीसरी व चैथी ई0 तक।
- कुणिन्द वंश का सबसे शक्तिशाली शासक -अमोद्यभूति था।
- इसकी रजत और ताम्र मुद्राए मिली है।
- कालसी अभिलेख से लगता है कि कुणिन्द वंश मौर्यो के अधीन थे।
- अमोद्यभूति की मृत्यु के बाद इस क्षेत्र में शको का अधिकार हो गया।
- पहली ई0 सती ई0पू0 में अमोद्यभूति की मृत्यु हुई थी।
- शको के बाद राज्य के तराई क्षेत्रो में कुषाणो का अधिकार हो गया था।
- 6 वी शताब्दि के उत्तरार्ध में किसने उत्तरखंण्ड पर अधिकार कर लिया -कनौज के मौखरियों।
- मौखरी के बाद उत्तरखंण्ड में किस बाहरी वंश की सत्ता स्थापित हुई-वर्धन वंश।
- हर्ष के समय हवेनसांग ने उत्तरखंण्ड की यात्रा की थी उसने इस राज्य को पो-ली-ही-मो-पो-लो कहा जिसे ब्रहम्पुर कहा गया और हऱिद्वार को मो-यू-लो कहा जिसका अर्थ मयूपुर कहा। इसका क्षेत्रफल बताया -20 ली।
- उत्तरखंण्ड के किस राजवंश को प्रथम एतिहासिक राजवंश कहा जाता है-कार्तिकेयपुर राजवंश को ।
- कार्तिकेय पुर राजवंश की राजधानी 300 वर्षो तक चमोली के कार्तिकेयपुर नामक स्थान में थी।
- कार्तिकेय पुर राजवंश ने 700 ई0 से 1050 ई0 तक शासन किया।
- उसके बाद राजधानी बागेश्र के बैजनाथ बनाई गयी थी।
- कार्तिकेय राजवंश के प्रथम परिवार वंश का प्रथम राजा -बसन्त देव था।
- बसन्त देव के बाद कार्तिकेय पुर राजवंश में किस परिवार की सत्ता स्थापित हुई -खर्पर देव वंश की।
- खर्पर देव के बाद निम्बर वंश आया।
- निम्बर किस मत का था-शैव मत का था।
- निम्बर वंश का वह कौन शासक था जिसने समस्त उत्तराखंण्ड को एक सूत्र में बाधना चाहा-निम्बर पुर इष्टगण ने ।
- जागेश्वर में किस शासक ने नवदुर्गा ,महिषमर्दिनी , लकुलीश , तथा नटराज आदि मन्दिरो का निर्माण किया-निम्बर पुत्र ईष्टगण ने।
- पांडुकेश्वर ताम्रपत्र में किस शासक को कलिकलंक पंक में मग्न धरती के उद्धार के लिए बराहवतार बताया गया है -इष्टगण पुत्र ललित सूरदेव को।
- बैजनाथ मन्दिर बनाया ललित पुत्र भूदेव ने । निम्बर वंश
- कार्तिकेयपुर राजवंश में किसने सलोडादित्य वंश की स्थापना की -इच्छर देव ने।
- कार्तिकेय पुर राजवंश की राजभाषा -संस्कृत थी।
- कार्तिकेय पुर राजवंश की लोकभाषा-पालि थी।
- कार्तिकेय पुर राजवंश के शासन के समय किस महान संत का आगमन हुआ था-आदि गुरू शंकराचार्य का ।
- आदिगुरू शंकराचार्य ने 820 ई0 में किस स्थान पर अपने शरीर को परित्याग किया था-केदारनाथ (रूद्रप्रयाग)
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