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उत्तराखंण्ड सामान्य ज्ञान पार्ट. 4
- कालू मेंहरा का जन्म 1831 ग्राम विशुंग लोहाघाट (चम्पावत ) में हुआ था।
- उत्तरखंण्ड के प्रथम संग्राम सेनानी -कालू मेहरा थे।
- 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्ति में लोहाघाट में अंग्रेजो के खिलाफ कुमाउ कमीश्नर हेनरी रैमजे के समय जबरदस्त संघर्ष किया था।
- उत्तरखंण्ड के प्रथम भारत रत्न प्राप्तकर्ता -प0 गोविन्द बल्लभ पंत थे।
- जन्म-10सितम्बर 1887 ग्राम खूट (अल्मोड़ा) में हुआ था।
- प0 गोविन्द बल्लभ पंत राजनीति दल -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रश ।
- इनकी माता का नाम-गोविन्दी बाई तथा पिता का नाम -मनोरथ पंत था।
- काशीपुर मे जाकर 1914 प्रेम सभा की स्थापना की थी।
- ब्रिटिश भारत संयुक्त प्रांत उत्तरप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री -1937-1939 तकं ।
- दूसरी बार फिर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने-1946 से 15 अगस्त 1947 तक।
- 15 अगस्त 1947 के बाद संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया।
- तीसरी बार फिर मुख्यमंत्री बने -26 जनवरी 1950 से 27 दिसम्बर 1954 तक।
- भारत के गृह मंत्री या भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल की मृत्यु के बाद 1955 से 1961 तक यह पद प0 गोविन्द बल्लभ पंत ने संभाला था।
- 1961 में प0 गोविन्द बल्लभ पंत की गृह मंत्री पद में रहते हुए मृत्यु हो गयी इनकी मृत्यु हृदयघात के कारण हुई थी।
- इनके बाद भारत के गृह मंत्री लाल बहादुर शास़्त्री बने।
- गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्राद्यौगिकी संस्थान पंत नगर में है।
- भारत का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय इसका उद्घाटन -लाल बहादुर शास्त्री ने किया था(17 नवम्बर 1960 उत्तर प्रदेश कृषि विश्व विद्यालय के नाम से किया था।)
- वर्ष 1972 में इसका नाम महान स्वतंत्रता सेनानी गाविन्द बल्लभ पंत के नाम से किया गया था।
- गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्विद्यालय पंतनगर उधम सिंह नगर मे है।
- यह विश्वविद्यालय भारत में हरित क्राति का अग्रदूत माना जाता है।
- इस विश्वविद्यायालय का आदर्श वाक्य -ग्रामो का विकास ,राष्ट्र का विकास।
- स्थापना -17 नवम्बर 1960 कुलाधिपति -श्री मति माग्रेट आल्वा थी।
उत्तराखंण्ड का इतिहास-
कुमाउ कमिश्नरी-
- औपनिवेशिक काल(1815-1947)
- आग्ल गोरखा युद्धो में संगोली संन्धि हो गई थी-2 दिसम्बर 1815 को।
- नेपाल का एकीकरण -पृथ्वी नारायण शाह ने किया।
- 4 मार्च 1816 को इस संधि का अनुमोदन किया गया।
- 27 अप्रेल 1815 ई को इस दिन निर्णायक संधि या लालमंडी की संधि गोरखो और अंग्रेजो के बीच हुई थी।
- 3 मई 1815 को एडवर्ड गार्डनर को कुमाउ का कमिशनर नियुक्त कर दिया।
- कुमाउ कमिशनरी का गठन 3 मई 1815 को हुआ।
- 3 मई 1815 में कुमाउ को नाॅन रेगुलेटिक क्षेत्र घोषित कर दिया।
- अंग्रेजो द्वारा कुमाउ पर दो कर लगाये गये जो इस प्रकार है -1-माल 2-सायर।
- 1816 में ट्रेल ने कुमाउ कमिशनरी को फरूखाबाद के अधीन कर दिया गया सिर्फ राजस्व टेक्स के मामले मे।
- 1902 में ब्रिटिश सरकार ने संयुक्त प्रांत आगरा व अवध प्रान्त को एक साथ जोड़ दिया ।
- 1937 में संयुक्त प्रान्त का गठन किया।
- 1937 में कुमाउ भी संयुक्त प्रान्त का हिस्सा ।
उत्तरखंण्ड में ब्रिटिश शासनकाल-
- 3 मई 1815 ई0 गार्डनर को कुमाउ का प्रथम कमिशनर नियुक्त करते हुए कुमाउ को नाॅन रेगुलेटिग क्षेत्र बनाया गया ओर अवध को 1856 और पंजाब को 1853 में बनाया गया।
- 1815 ई0 के अन्दर एडवई गार्डनर ने कुमाउ में प्रथम भूमि बनोबस्त किया।
- एडवर्ड गार्डनर ने बच्चो की विक्रय बाल विक्रय को रोक लगाई।
- मिझारी कर को समाप्त कराया (मिझारी यह कर झारखंडी ब्राहमणो से लिया जाता था) गोरखा शासन द्वारा।
- कुमाउ मे अंग्रजो का मुख्यालय -अल्मोड़ा और गढ़वाल में अंग्रेजो का मुख्यालय श्रीनगर था।
- एडवर्ड गार्डनर ने अल्मोड़ा -श्रीनगर 1815 के लिए डाक व्यवस्था की शुरूआत करी ।
- 13 अप्रेल 1816 को एडवर्ड गार्डनर ब्रिटिश आयुक्त बनाकर नेपाल भेजा गया।
- दूसरा कुमाउ कमिशनर -जार्ज विलियम ट्रेल (1816-़1835) प्रथम कुमाउ का वास्तिवक कमिशनर था।
- इसके शासन काल को न दलील , न वकील , न अपील इसके शासनकाल को कहा जाता है।
- 1816 में भूमि बन्दोबस्त
- 1817 में भूमि बन्दोबस्त 3 साला बन्दोबस्त ।
- नानकर भूमि से टेक्स लेना शुरू किया -ट्रेल ने।
- 1819 ई0 के अन्दर नानकर भूमि अधिग्रहण से प्राप्त धनराशि से 1819 ई0 के अन्दर ट्रेल ने कुमाउ में नौ पटवारियो के पद सृजित किए।
- उत्तरखंण्ड मे पटवारियो के पद ट्रेल ने शुरू किए थे।
- पट्टी का रखवाला -पटवारी होता था।
- जार्ज विलियम ट्रेल को रिवेन्यु पुलिश का जनक कहा जाता है।
- 1821 में ट्रेल द्वारा पट्टी परगना बनाये गये
उत्तराखंण्ड का इतिहास चन्द वंश
- कुमाउ में कत्यूरी राज्य के अवसान पर चंदवंश की स्थापना हुई।
- चन्द वंश का संस्थापक -सोमचंद था।
- सोमचंद शिव का उपासक था।
- उसने चंपावती देवी के नाम पर बसे चंपावत को राजधानी बनाकर धीरे-धीरे राज्य का विस्तार करना प्रारम्भ किया।
- इस समय समूचे काली कुमाउ में अनेक खस, नाग ,द्रविढ़ ,मेद ,चाण्डाल आदि ठकुरातियोंका राज्य था।
- ये दो भागो में बटे थे-जिनके मुख्या-महरा और फत्र्याल थे।
- सोमचंद ने सर्वप्रथम चार किलेदार नियुक्त किए थे-ये कार्की ,बोरा ,तड़ागी व चैधरी ।
- ये मूलतः नेपाल के निवासी थे।
- इनको स्थानिय भाषा में चारआल कहा जाता था।
- सोमवंश ने सर्वप्रथम दोण कोट (दोन कोट) के रावत राजा को परास्त किया।
- मेहरा और फत्र्याल जाती को उसने मंत्री व सेनापति बनाया।
- मेहरा लोग कटोलगढ़ व फत्र्याल डुंगरी में रहते थे। डुंगरी भी सुई के किले के पास था। राज्य की सारी रणनीति इन्ही दो धडो के हाथो में थी।
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