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प्राचीन भारत का इतिहास पार्ट .3
जैन धर्म -
- जैन धर्म के अधिष्ठाता या अवतार तीर्थकर कहलाते है
- जैन श्रुतियों के अनुसार तीर्थकरो की कुल संख्या 24 है।
- पहले तीर्थकर का नाम ऋषभदेव या ऋषभनाथ या आदिनाथ तथा 24 वे व अंतिम तीर्थकर का नाम महावीर स्वामी था।
- ऋग्वेद में दो जैन तीर्थकरो ऋषभदेव एवं अरिष्टनेमि का नाम उल्लेखित है।
- महावीर स्वामी का जन्म 540 ई0पू0 में कुण्डग्राम मे हुआ था , ये जांत्रिय नामक क्षत्रिय कुल के थे।
- कुण्डग्राम -वैशाली के निकट जिला बिहार में आता है, यह महावीर स्वामी का जन्म स्थल है।
- महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ था।
- महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला था।
- महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था।
- महावीर स्वामी की पत्नि का नाम यशोदा था।
- महावीर स्वामी की पुत्री का नाम अन्नोजा (प्रियदर्शनी) थी।
- कल्पसूत्र के अनुसार महावीर स्वामी ने 12 वर्ष तक सन्यासी का जीवन व्यतीत किया ।
- 42 वर्ष की आयु में उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई -जुम्भिकग्राम के निकट उज्जुवालिया (ऋजुपालिका) नदी के तट पर एक पुराने मन्दिर के साल के वृक्ष के नीचे उन्हे कैवल्य की प्राप्ति हुई थी।
- तपस्या के द्वारा समस्त इन्द्रियो पर विजय प्राप्त करने के कारण महावीर को (जिन) इन्द्रियो को जीतने वाला भी कहा जाता है।
- महावीर स्वामी ने सर्वप्रथम पावा मे 11 ब्राहमणो को उपदेश दिया था।
- महावीर स्वामी अक्सर हर्यक वंश के शासक बिम्बसार तथा आजातशत्रु के दरबार में जाते थे।
- 468 ई0पू0 में 72 वर्ष की आयु में पावाग्राम में महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति हुई।
- जैन धर्म में त्रिरत्न -सम्यक् दर्शन , सम्यक् ज्ञान , सम्यक् आचरण ।
- पंचमहाव्रत -अहिंसा, सत्य ,अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रहाचर्य इन पांच महाव्रतो में पाचवा महाव्रत महावीर स्वामी द्वारा जोडा गया था जिसका नाम (ब्रहाचर्य ) है।
- प्रथम जैन महासभा -300 ई0 पू0 में हुई थी -पाटलीपुत्र (बिहार) में संरक्षक - चन्द्रगुप्त मौर्य थे।।
- द्वितीय महासभा-512 ई0 पू0 वल्लभी (गुजरात) में हुई थी।
- बाद में जैन धर्म दो भागो में बट गया था -श्वेताम्बर व दिगम्बर में ।
- श्वेताम्बर सम्प्रदाय के संस्थापक-स्थूलभद्र
- दिगम्बर सम्प्रदाय के संस्थापक-भद्रबाहु थे।
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